AMARKANTAK
मुख्य आकर्षण :-
यहाँ अनेक रमणीय स्थल है जिनका विवरण क्रमशः आगे
दिया गया है
नर्मदाकुंड और मंदिर %&
नर्मदाकुंड नर्मदा नदी का उदगम स्थल है। इसके
चारों ओर अनेक मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरू गोरखनाथ मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, वंगेश्वर महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव परिवार, सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, श्रीराधा कृष्ण मंदिर और ग्यारह रूद्र मंदिर आदि
प्रमुख हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव और उनकी पुत्री नर्मदा यहां निवास करते थे।
माना जाता है कि नर्मदा उदगम की उत्पत्ति शिव की जटाओं से हुई है, इसीलिए शिव को जटाशंकर कहा जाता है। माना जाता है
कि पहले इस स्थान पर बॉस का झुण्ड था माँ नर्मदा निकलती थीं बाद में बाद में रेवा
नायक द्वारा इस स्थान पर कुंड और मंदिर का निर्माण करवाया गया | स्नान कुंड के पास ही रेवा नायक की प्रतिमा है | रेवा नायक के कई सदी पश्चात् नागपुर के भोंसले
राजाओं ने उद्गम कुंड और कपडे धोने के कुंड का निर्माण करवाया था | इसके बाद 1939 में रीवा के महाराज गुलाब सिंह ने माँ नर्मदा
उद्गम कुंड ,स्नान कुंड और परिसर के
चारो ओर घेराव और जीर्णोद्धार करवाया |
दूधधारा :-
अमरकंटक में दूधधारा नाम का यह झरना काफी लोकप्रिय
है। ऊंचाई से गिरते इस झरने का जल दूध के समान प्रतीत होता है इसीलिए इसे दूधधारा
के नाम से जाना जाता है। यह शहडोल जिले में है।
सोनमुड़ा %&
सोनमुदा सोन नदी का उदगम स्थल है। यहां से घाटी
और जंगल से ढ़की पहाडियों के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। सोनमुदा नर्मदाकुंड
से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर मैकाल पहाडि़यों के किनारे
पर है। सोन नदी 100 फीट
ऊंची पहाड़ी से एक झरने के रूप में यहां से गिरती है। सोन नदी की सुनहरी रेत के
कारण ही इस नदी को सोन कहा जाता है।
धुनी पानी %&
अमरकंटक का यह गर्म पानी का झरना है। कहा जाता है
कि यह झरना औषधीय गुणों से संपन्न है और इसमें स्नान करने शरीर के असाध्य रोग
ठीक हो जाते हैं। दूर-दूर से लोग इस झरने के पवित्र पानी में स्नान करने के
उद्देश्य से आते हैं, ताकि उनके तमाम दुखों का
निवारण हो ॐ।
कल्चुरी काल के मंदिर %&
नर्मदाकुंड के दक्षिण में कलचुरी काल के प्राचीन
मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों को कलचुरी महाराजा कर्णदेव ने 1041-1073 ई. के दौरान बनवाया था। मछेन्द्रथान और पातालेश्वर
मंदिर इस काल के मंदिर निर्माण कला के बेहतरीन उदाहरण हैं।
मां की बगिया %&
मां की बगिया माता नर्मदा को समर्पित है। कहा जाता
है कि इस हरी-भरी बगिया से स्थान से शिव की पुत्री नर्मदा पुष्पों को चुनती दी
थी। यहां प्राकृतिक रूप से आम, केले और
अन्य बहुत से फलों के पेड़ उगे हुए हैं। साथ ही गुलबाकावली और गुलाब के सुंदर
पौधे यहां की सुंदरता में बढोतरी करती हैं। यह बगिया नर्मदाकुंड से एक किलोमीटर की
दूरी पर है।
कपिलधारा %&
लगभग 100 फीट की ऊंचाई से गिरने वाला कपिलधारा झरना बहुत
सुंदर और लोकप्रिय है। धर्मग्रंथों में कहा गया है कि कपिल मुनी यहां रहते थे। घने
जंगलों, पर्वतों और प्रकृति के
सुंदर नजारे यहां से देखे जा सकते हैं। माना जाता है कि कपिल मुनी ने सांख्य
दर्शन की रचना इसी स्थान पर की थी। कपिलधारा के निकट की कपिलेश्वर मंदिर भी बना
हुआ है। कपिलधारा के आसपास अनेक गुफाएं है जहां साधु संत ध्यानमग्न मुद्रा में
देखे जा सकते हैं।
कबीर चबूतरा %&
स्थानीय निवासियों और कबीरपंथियों के लिए कबीर
चबूतरे का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि संत कबीर ने कई वर्षों तक इसी चबूतरे पर
ध्यान लगाया था। कहा जाता है कि इसी स्थान पर भक्त कबीर जी और सिक्खों के पहले
गुरु श्री गुरु नानकदेव जी मिलते थे। उन्होंने यहां अध्यात्म व धर्म की बातों के
साथ मानव कल्याण पर चर्चाएं की। कबीर चबूतरे के निकट ही कबीर झरना भी है। मध्य
प्रदेश के अनूपपुर और डिंडोरी जिले के साथ छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और मुंगेली की
सीमाएं यहां मिलती हैं।
सर्वोदय जैन मंदिर %&
यह मंदिर भारत के अद्वितीय मंदिरों में अपना स्थान
रखता है। इस मंदिर को बनाने में सीमेंट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
मंदिर में स्थापित मूर्ति का वजन 24 टन के करीब है। भगवान आदिनाथ अष्ट धातु के कमल
सिंघासन पर विराजमान है कमल सिंघासन का बजन 17 टन है इस प्रकार इस प्रकार प्रतिमा और कमल
सिंघासन का कुल बजन 41 टन है | प्रतिमा को मुनिश्री विद्यासागर जी महाराज ने 06 नवम्बर 2006 को विधि विधान से स्थापित किया |
श्री ज्वालेश्वर महादेव
मंदिर %&
श्री ज्वालेश्वर महादेव मंदिर अमरकंटक से 8 किलोमीटर दूर शहडोल रोड पर स्थित है। यह खूबसूरत
मंदिर भगवान शिव का समर्पित है। यहीं से अमरकंटक की तीसरी नदी tksfgyk unh की उत्पत्ति होती है। विन्ध्य वैभव के अनुसार
भगवान शिव ने यहां स्वयं अपने हाथों से शिवलिंग स्थापित किया था और मैकाल की igkfM;ksa में असंख्य शिवलिंग के रूप में बिखर गए थे।
पुराणों में इस स्थान को महा रूद्र मेरू कहा गया है। माना जाता है कि भगवान शिव अपनी
पत्नी पार्वती से साथ इस रमणीय स्थान पर निवास करते थे। मंदिर के निकट की ओर
सनसेट प्वाइंट है।
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वायु मार्ग- अमरकंटक का निकटतम एयरपोर्ट जबलपुर
में है, जो लगभग 245 किलोमीटरकी दूरी पर है।
रेल मार्ग- पेंड्रा रोड
अमरकंटक का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो लगभग 35 किलोमीटर दूर है। सुविधा के लिहाज से अनूपपुर
रेलवे स्टेशन अधिक बेहतर है जो अमरकंटक से 72 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग- अमरकंटक मध्य
प्रदेश और निकटवर्ती शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। पेंड्रा रोड, बिलासपुर और शहडोल से यहां के लिए नियमित बसों की
व्यवस्था है।
V.nice Place
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया बहुत ही शानदार प्लेस है
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